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रविवार, 30 अक्तूबर 2011

झगडालू सासू माँओं के लिए रेड-अलर्ट!


अभी पीछे ९५ साल की बुढिया को कोर्ट से लाइफ सेंटेंस (उम्र कैद) हुई थी उसके दो तीन दिन बाद ही ८५ साल की बुढिया को सेशन जज ने लपेट दिया दहेज़ के दंश के चलते इन दोनों सासुओं की करतूत माफ़ी के लायक नहीं थी सो हुआ भी एकदम सही फैसला. कुछ लोगों का तर्क है की इस उम्र में लाइफ सेंटेंस के कोई मायने नहीं होते ये सब बेमानी है सबसे बड़ी बात इसका फैसला महज तीन साल में आया है कुछ भी हो इन सजाओं के बहुत मायने है पहला इससे समाज में सकारात्मक सन्देश की जहां कहीं भी घरेलू हिंसा हो रही हो तो उस झगड़े को उग्र रूप धारण करने से पहले बहुएं कानून की सरण में जाएँ दूसरा घरेलू अत्याचार सहने की बजाये उसका डटकर मुकाबला करें नहीं तो आज के समय में ऐसी हिंसाओं की त्रादसी कुछ भी हो सकती है इस केस में एक अच्छी बात ये है की सजा भी हो गई और बुढिया की देख-रेख भी अच्छी हो जायेगी ओल्ड एज होम की बजाय जेल होम ही इन जैसों के लिए अच्छी जगह है वहाँ अस्पताल की सुविधाएँ भी मिलेंगी और दो-चार सेवक भी जेल की तरफ से मिल जायेंगें और कानून ने अपना काम भी कर दिया.पूरी खबर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें 
दूसरे इस प्रकार की हिंसा को को अपने ही दम पर महिलायें हल करने की कोशिश करें ये मैं इस लिए कह रहा हूँ अक्सर देखा गया है वोमेन सेल वाले कैसे न कैसे समझौता करा देते है और तो और परिजन तक अपनी हरकतों से बाज नहीं आते है  मगर बाद में उन्हीं के केसों में आगे चलकर बात बिगड जाती है और नतीजे गंभीर निकलते है इस बात की उन्हें कोई परवाह नहीं होती बस भ्ल्मंसाई का तमगा ले लेते है मैं तो यहाँ तक कहता हूँ आज के हालात में मियाँ बीवी और पारिवारिक संबंधों में अगर खटास आ जाए तो उन्हें ढोने की बजाय राजी-खुशी से अलग हो जाएँ तो ज्यादा बेहतर है मानना आपका काम बताना मेरा काम और फिर आप ज्यादा समझदार है क्योंकि पढ़े लिखे है ना. समय-समय पर हौस्लेवाला आपको करता रहेगा आगाह. सन्नाटे को चीरती सनसनी एक बार फिर देगी दस्तक एनबीटी ब्लॉग पर  तब तक आप रहिएगा होशियार हौस्लेवाला आपको करता रहेगा खबरदार. ( मेरी मोडरेटर साहब से प्रार्थना है दोनों ख़बरों का लिंक एनबीटी न्यूज़ से देने की कृपा करें)  

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